अधिक समय तक जल के संपर्क से हाथों पर झुर्रियाँ क्यों पड़ जाती हैं ? WikiHow Hindi.

अधिक समय तक जल के संपर्क से हाथों पर झुर्रियाँ क्यों पड़ जाती हैं ?

Adhik samay tak jal ke sampark se haathon par jhuriyan

त्वचा से हमारे शरीर पर एक प्रत्यास्थ (लचीला) सरंक्षी आवरण बनता है। इसकी ऊपर की सतह पर मृत कोशिकाओं की परत होती है। मध्य परत में जीवित कोशिकाएँ और मांसपेशियाँ वसा में संयोजित होती हैं। त्वचा कुछ भागों पर, जैसे समस्त संधियों पर और अंगुली के पीछे, पर्याप्त मात्रा में शिथिल होती हैं यदि हाथ को शीतल जल में अधिक समय तक रखा जाता है तो हथेली की रक्त वाहिकाएँ संकीर्ण हो जाती हैं जिससे रक्तप्रवाह कम होता है और ऊतक त्वचा के साथ सिकुड़ जाते हैं। त्वचा को सूक्ष्म भाग में स्थान देने के लिए झुर्रियाँ पड़ जाती हैं। हथेली की त्वचा सामान्यतः दृढ़ और फैली होती है क्योंकि इसके नीचे ऊतक पर्याप्त सहारा नहीं देते। त्वचा की मध्य परत, जिसमें रक्तवाहिकाएँ, स्वेद-ग्रन्थियाँ, वाहिनी तथा तंत्रिकाएँ होती हैं, वातावरण-परिवर्तन की सुग्राही होती हैं। यह तापमान के परिवर्तन अथवा कुछ रासायनिक पदार्थ के संपर्क से फूल सकती है अथवा सिकुड़ सकती है। यह परिवर्तन इस भाग में रक्त वाहिकाओं में रक्त प्रवाह में विनिमय के कारण हो सकता है। व्यायाम से शरीर गरम हो जाता है जिससे मांसपेशियों में अधिक रक्त प्रवाहित होता है और त्वचा अल्पमात्रा में फूल जाती है। ठंड से त्वचा थोड़ी-सी सिकुड़ जाती है।

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