सोलर पम्प
Solar Pump
छोटे-छोटे गांवों में, जहां अभी बिजली नहीं पहुंची, सिंचाई के लिए शक्ति का आदर्श स्रोत सौर ऊर्जा ही हो सकता है। यह सोचकर कृषि कार्यों के लिए 0.5-5 अश्वशक्ति क्षमता के एक सोलर पम्प का विकास हमारे देश में किया गया है। इस दिशा में पिलानी (राजस्थान) के बिड़ला विज्ञान और टेक्नालाजी संस्थान में डी० पी० रात तथा के० एस० रात ने लिफ्ट सिंचाई के लिए एक सोलर पम्प तैयार किया। इसके बाद महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ, राहुड़ी में वार्ष्णेय, सॉवत तथा उण्डी ने एक ऐसे का डिजाइन दिया है जिसमें सौरभापित्र के द्वारा 98-100° से0 पर यह पम्प चलकर प्रतिदिन 4-5 लीटर जल को भाप में बदल सकता है।
सौर भापजनित्र में दो भाग होते हैं-सपाट पटल ताप अवशोषक इकाई तथा संकेन्द्रक प्रणाली। अवशोषक इकाई तांबे की चादर की बन होती है। एक ट्रे में ऊपर 4-5 मिलीमीटर मोटी कांच की प्लेट रंगी हुई अवशोषक इकाई में फिट रहती है।