इन्द्रधनुष सदैव अर्ध-वृत्ताकार क्यों बनता है?
Why is a rainbow always a semi-circle?
इन्द्रधनुष वर्षा की बूंदों पर गिरने वाली धूप के अपवर्तन और परातर्वन से बनता है। जब एक किरण जल की बूंद में प्रवेश करती है। तो वह अपवर्तित हो जाती है। इसका अधिकांश भाग बंद के भीतर परावर्तित हो जाता है, और जब यह आपतित किरण बूंद से बाहर निकलती है तो इसका पुनः विकिरण हो जाता है। विभिन्न रंगों की किरणें कोणों पर अपवर्तित होती हैं। इससे प्रकाश के रंग पृथक् हो जाते हैं और इन्द्रधनुष दिखाई देता है।
इन्द्रधनुष की किरण का प्रत्येक रंग नेत्र तक एक विशिष्ट कोण पर पहुंचता है। इसके ऊपरी सिरे से आने वाली लाल किरण 42° का एक कोण आपतित किरण की दिशा के साथ बनाती है। इस प्रकार जब कोई वर्षा की बूंद की स्क्रीन को देखता है तो इसका कुछ ही भाग लाल दिखाई निर्दिष्ट कोण की देता है और यह निरीक्षक को एक विशिष्ट कोण पर दिखाई देता है। इस तुलना में अधिक छोटा अथवा विस्तृत कोण, जो स्क्रीन के भागों से बनता है, कोई रंग प्रकट नहीं करता। सममिति द्वारा विशिष्ट कोण की यह अवस्था तभी संतुष्ट होती है जब बूंदें एक वृत्त पर होती हैं। इसलिए इन्द्रधनुष वृत्तल होता है। परन्तु जब हम इसे पृथ्वी से देखते हैं तो इन्द्रधनुष का निचला आधा भाग दिखाई नहीं देता, क्योंकि हमारे नीचे कोई वर्षा की बूंद नहीं है।