हम चलते समय अपनी भुजाओं को आगे-पीछे क्यों हिलाते है? WikiHow Hindi.

हम चलते समय अपनी भुजाओं को आगे-पीछे क्यों हिलाते है?

hum chalte samay apni bhujao ko aage piche kyon hilate hai

जब हम अपनी दाहिनी टाँग आगे बढ़ाते हैं तो श्रोणि (पेलविस) थोड़ा-सा घूमती है और शरीर का आधा भाग आगे बढ़ जाता है। भुजाएँ और स्कन्ध जोड़ों पर शिथिलता से लटके रहते हैं और उनमें कोई गति हस्तांतरित नहीं होती। इस प्रकार लंबवत् होने के कारण दाहिनी भुजा पीछे रहती है और शरीर की तुलना में पीछे को चलती प्रतीत होती है। बाद में जब बाईं टाँग आगे को बढ़ती है तो बाईं भुजा इसी कारण पीछे रह जाती है, परन्तु दाहिनी भुजा एक लटकन की गति की भाँति आगे की ओर आ जाती है। इस प्रकार दक्षिण टाँग और वाम भुजा एक तरह से साथ ही गति करते हैं। बाईं टाँग और दाहिनी भुजा एक-साथ हिलते हैं। इससे शरीर के गुरुत्व का केन्द्र एक बिन्दु पर स्थित रहता है।

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