उड़ते विमानों के कारण टेलीविजन के चित्र क्यों फड़फड़ाने लगते हैं।
रेडियो तरंगें आमतौर पर प्रसारण केन्द्र से टेलीविजन रिसीवर तक सीधी रेखा में भ्रमण करती हैं। परन्तु टेलीविजन प्रसारण में प्रयोग की जाने वाली तरंगों की लम्बाई की प्रकृति ऐसी होती है कि वे हवाई जहाजों जैसी धातु की वस्तुओं से परावर्तित हो जाती हैं। इस प्रकार रिसीवर में दो प्रकार के संकेत प्रवेश करते हैं-एक सीधा प्रसारण केन्द्र से आने वाला बाधिक संकेत, और दूसरा आपाती संकेत जो हवाई जहाज से टकराकर आता है। ये दोनों संकेत या तो एक-दूसरे को प्रबल बनाते हैं अथवा धीमा करते हैं। यह स्थिति दोनों संकेतों के रिसीवर तक पहुंचने के अंतराल पर निर्भर है। परन्तु वायुयान अपनी गति की अवधि में निरंतर स्थिति बदलता है जिससे संकेतों का अंतराल अधिक हो जाता है। लाभकर समय के अंतराल में चित्र गहरा और विपरीत स्थिति में चित्र हो जाता है। इससे चित्र फड़फड़ाते प्रकट होते हैं।