गोताखोर के तैरने का सिद्धान्त-गोताखोर तैरने के सिद्धान्त पर कार्य करता है। तैरने का सिद्धान्त आर्केमेडीज़ ने दिया था। इसी सिद्धान्त पर लोहे का टुकड़ा पानी में डूब जाता है लेकिन उसी लोहे से बना जहाज पानी में तैरता रहता है। लोहे का टुकड़ा जितना पानी (अपने आयतन के बराबर) हटाता है, उसका वजन लोहे के वजन से कम होता है, इसलिए टुकड़ा डूब जाता है। इसके विपरीत लोहे के बने जहाज द्वारा हटाए गए पानी का वजन जहाज के वजन से ज्यादा होता है।
उद्देश्य – गतिमान गोताखोर बनाना जो ऊपर-नीचे गति कर सके।
आवश्यक सामान-एक ड्रॉपर, रबड़ बैंड, काँच का एक जार, मोटे गुब्बारे का टुकड़ा या पतली रबड़ का टुकड़ा।
गतिमान गोताखोर बनाने की विधि-
(1) काँच या प्लास्टिक के जार को पानी से लगभग पूरा भर लो या ऊपर से दो इंच खाली रख लो।
(2) एक ड्रॉपर लो। यदि ड्रॉपर में पानी भरा है तो उसमें से पानी निकाल दो और फिर उसे जार में छोड़ दो और उसे जार में ही रहने दो।
(3) उसके बाद जार के ऊपर गुब्बारे की रबड़ को रबड़ बैंड से कस कर बांध दो। ऐसा करने से बाहर की हवा अन्दर नहीं जाती और न ही अन्दर की हवा बाहर आती है। अब आपका गतिमान गोताखोर तैयार है।
(4) अब जार के मुंह पर कसी हुई रबड़ को उंगलियों से नीचे की ओर दबाओ। ऐसा करने से ड्रॉपर पानी से नीचे चला जाएगा लेकिन उंगलियाँ हटाते ही वह ऊपर आ जाएगा। बार-बार उंगलियाँ ऊपर-नीचे करके आप गोताखोर के काम करने का तरीका दिखा सकते हो।
(5) उंगलियाँ ऊपर और नीचे करने से रबड़ और पानी के बीच की हवा का दबाव परिवर्तन होता है। इस दबाव परिवर्तन के कारण ड्रॉपर ऊपर-नीचे गति करता है। यही गतिमान गोताखोर के कार्य करने का सिद्धान्त है।