तारे क्यों टूटते हैं?
आकाश के दोनों गोलार्द्ध में तारों की संख्या लगभग 7000 है। नंगी आंखों से लगभग 3.000 तारे ही दिखाई देते हैं। अंधेरी रात में टूटने वाले तारे वास्तव में तारे नहीं होते। इन्हें उल्का कहते हैं। उल्का लघु आकाशीय पिंड हैं जो सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। जब ये पृथ्वी के वायुमण्डल में अति तीव्र गति से प्रवेश करते हैं तो घर्षण के कारण जल जाते हैं। इस प्रकार प्रकाश की उज्जवल रेखा उत्पन्न होती है।