कैसे लेंस और हमारी आँखें समान प्रकार से कार्य करती है और प्रकाश का इस से क्या संबंध है?
यदि हम अपनी आंखों को कैमरा कहें, तो आश्चर्य नहीं मानना चाहिए। जिस तरह कैमरे से तरह-तरह की चीजों के फोटो खींचे जाते हैं, उसी तरह आंखों पर भी सभी चीजों की छाप पड़ती है।
आंखें और कैमरा दोनों एक ही तरह से काम करते हैं। आइने के सामने खड़े होकर ध्यान से आंखों को देखो। आंखों की पुतली के बीच में चमकती हुई चीज दिखाई देगी, जिसे आंखों का तारा कहते हैं। तारा को हम आंख कैमरे का लेंस या ताल कह सकते हैं।
कैमरे में भी बाहर की ओर लेंस या तारा लगा रहता है।
प्रकाश की किरणें लेंस या ताल पर पड़ कर कैमरे या आंख के भीतर जाती है। प्रकाश की किरणों के लेंस पर पड़ने से ही सभी चीजों की छाप अंकित हो जाती है।
लेंस कई प्रकार का होता है। हर एक प्रकार का लेंस अपनी कुछ न कुछ विशेषता रखता है ।
लेंस चाहे जिस प्रकार का हो, जब प्रकाश की किरणें उससे होकर निकलती हैं तो झुक जाती हैं, पर लेंस के बीच से निकलने वाली प्रकाश की किरणें झुकती नहीं, सीधी लेंस के उस पार निकल जाती हैं और छोटे-छोटे बिन्दुओं के रूप में एक बिन्दु पर इकट्ठी हो जाती है। उस बिन्दु को लेंस की नाभि कहते हैं। लेंस में जब नाभि पर आंख होती है, उसी समय हमें लेंस के उस पार की चीज साफ-साफ दिखाई पड़ती है।
आकार की दृष्टि से लेंस तरह-तरह के होते हैं। कैमरे का लेंस बहुत छोटा होता है, पर दूरबीन के लेंस का व्यास लगभग 40 इंच का होता है। इसी प्रकार छोटे-बड़े तरह-तरह के बहुत से लेंस होते हैं।