धूप में शरीर का खुला अंग काला क्यों पड़ जाता है ?
हमारी त्वचा का रंग मैलेनिन वर्णक की उपस्थिति पर निर्भर है। जिसका निर्माण उपरिस्थ लेयर में मौजूद विशेष मैलेनोसाइट कोशिकाओं में होता है। गहरे रंग का मैलेनिन एक एमिनो एसिड से प्राप्त होता है जो फिल्टर होकर त्वचा पर सूर्य की पराबैंगनी किरणों के हानिकारक प्रभाव को कम करता है और आतप-दाह से रक्षा करता है। जब शरीर का कोई भाग धूप में खुला होता है तो प्रति क्रिया में मैटोलिन की उत्पत्ति, और प्रसुप्त मैलेननोसाइट के सक्रियकरण द्वारा, अधिक मैलेनिन उत्पन्न होता है। तब कोशिक-पिंड, मैलेनोसोम, द्वारा यह वर्णक त्वचा-सतह पर आ जाते हैं जिससे त्वचा गहरे रंग की दिखाई देती है। ठंडे देशों में धूप का प्रभाव कम होता है, अतः वहाँ के अधिकांश नीवासी गोरे होते हैं।
मंद धूप त्वचा पर जीवाणु व कवक (फंगस) को मारती है। यह दमा और संधि-पीड़ा का अवमोचन करती है। पराबैगनी विकिरण से विटामिन डी-3 कैल्सीफेरॉल उत्पन्न होता है जो अस्थि के लिए कैल्सियम के अवशोषण के लिए आवश्यक है। सूर्य की अधिकांश पराबैगनी किरणें पृथ्वी से 20 कि. मी. ऊपर स्थित ओजोन गैस की लेयर में अवशोषित हो जाती हैं। यदि ओज़ोन लेयर में कोई निःशेषण होता है तो पराबैंगनी किरणें मानव-जीवन पर विनाशकारी प्रभाव डालती हं जिससे त्वचा कैंसर और अंधेपन के रोग अधिक हो जाते हैं।