भारत में भौतिक विज्ञान उपयोग सर्वप्रथम कैसे हुआ- WikiHow Hindi

भारत में भौतिक विज्ञान उपयोग सर्वप्रथम कैसे हुआ 

वैदिक काल से भी पहले भारतवासियों ने पदार्थों के भौतिक गुणों के सम्बन्ध में कुछ सिद्धांत बनाये थे। सांख्य-पतंजलि सिद्धांत के अनुसार सारा ब्रह्माण्ड प्रकृति से विकसित हुआ था । प्रकृति को सत या मेधा, रज या ऊर्जा, और तम या पदार्थ से विकसित हुआ माना गया था।

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यजुर्वेद में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि सूर्य वायु और अग्नि आदि पदार्थों से मिलकर बना है। ‘आप’ अर्थ का उद्जन गैस ही है। शतपथ ब्राह्मण के एक मंत्र में भी कहा गया “निश्चय ही सूर्य स्वर्गीय आपका सबसे घना केन्द्र है।” इसी ग्रंथ के एक दूसरे मंत्र में कहा गया है, “आप ही सूर्य हैं और सूर्य ही आप।” दोनों में कोई अन्तर नहीं है ।

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आत्रेय ब्राह्मण में बताया गया है कि सारा सूर्य आप से भरा हुआ है। यही आप सूर्य को शक्ति देती है। आप के कारण ही सूर्य सुबह को निकल सकता है और शाम को छिप सकता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि ईसा से भी सैकड़ों वर्ष पूर्व भारतीयों ने जो खोजें की थीं, वे आधुनिक विज्ञान के हिसाब से भी ठीक उतरती हैं। आधुनिक वैज्ञानिक अब इस बात को स्वीकार करने लगे हैं कि जब सौर-मंडल का जन्म हुआ तो सभी ग्रह एक-दूसरे से इतने दूर नहीं थे। जितने वह आज दिखाई देते हैं।

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पृथ्वी गोल है, यह बात पश्चिमी वैज्ञानिकों को बहुत बाद में ज्ञात हुई। वैदिक साहित्य में अनेक स्थानों पर पृथ्वी को गोल बताया गया है। शतपथ ब्राह्मण में इसका स्पष्ट उल्लेख किया गया है। जेमिनी ब्राह्मण में तो यहाँ तक कहा गया है कि पृथ्वी ही नहीं, सूर्य, चन्द्रमा और दूसरे ग्रह भी आकार में गोल हैं।

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