समुद्री पानी को असीम ईंधन माना जाता है, क्योंकि समुद्री पानी में हाइड्रोजन का समस्थानिक (आइसोटोप) ड्यूटेरियम विपुल मात्रा में मौजूद है। समुद्र के पानी में हर 65,000 हाइड्रोजन परमाणुओं के लिए एक ड्यूटेरियम परमाणु मौजूद है। ऐसा आकलन किया गया है कि महासागरों के अंदर 100 क्विंटीलियन ग्राम ड्यूटेरियम मौजूद है। इसका इस्तेमाल कई मिलियन वर्षों तक नाभिकीय विलयन (न्यूक्लियर फ्यूजन) के जरिए ऊर्जा पैदा करने में किया जा सकता है।